Everything about baglamukhi sadhna



The audio waves contained in the words which compose the mantras can alter the destiny of human beings.The advantages can only be judged after seeking them.

देवी अपने अंग, परिवार, आयुध और शक्ति सहित पधारें तथा मूर्ति में प्रतिष्ठित होकर हमारी पूजा ग्रहण करें। इस हेतु संपूर्ण शरणागतभाव से देवी से प्रार्थना करना, अर्थात उनका आह्वान करना। आह्वान के समय हाथ में चंदन, अक्षत एवं तुलसीदल अथवा पुष्प लें। आह्वान के बाद देवी का नाम लेकर अंत में ‘नम:” बोलते हुए उन्हें चंदन, अक्षत, तुलसीदिल अथवा पुष्प अर्पित कर हाथ जोड़ें।

five] Through Mantra chanting a person will take breaks but below no situations must you rise up with the Aasan. If you need a break one can rest but only by sitting within the Aasan itself. Ahead of chanting 101 rounds, 1 should not rise up.

आचार्य अतुल्य नाथ धूमावती तांत्रिक महायज्ञ्

उक्त कथानक के अनुकूल ‘कृष्ण-यजुर्वेद’ की काठक-संहिता में दो मन्त्र आए हैं, जिनसे श्रीबगला विद्या का वैदिक रूप प्रकट होता है- विराड्-दिशा विष्णु-पत्यघोरास्येशाना सहसो या मनोता ।

मुसलमानी अमल – मुसलमानी कलमा – धन दौलत प्रपात करने के…

Mantras tend to be the exceptional frequencies that are perpetually present in nature,the whole atmosphere is stuffed with audio vibrations. The vibrations result every thing in character including the Actual physical and psychological structure of human beings.

मैंने पहले भी जब उसने पंचपीर साधना सिद्दी प्रपात की थी उसका भी मैंने एक वीडियो डाला था साबूत के साथ वो मेरे चैनल पर मजूद है ! तो आप वो विडिओ भी देखो जिसने नहीं देखा है ! अगर आप मेहनत करोगे आप भी सिद्धया हासिल कर सकते है !

नमक से शत्रु का नाश

अग्निर्वै देवानां मनोता तस्मिन् हि तेषां मनांसि ओतानि !

तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।।

भगवती बगलामुखी की किरपा से हर इच्छा पूरी हो जाएगी। साधना का यह विशेष प्रभाव यह है कि साधना करने वाले साधक को कभी भी पैसे की कमी नहीं रहती है। भगवती कृपा से, वह सभी प्रकार से धन प्रपात करता है। वर्तमान युग में पैसे की अनुपस्थिति में, कोई काम पूरा नही सकता । यदि पैसे की कमी है, तो कोई मित्र नहीं है या समाज में इसका सम्मान करता है। इस साधना के प्रभाव से, धीरे-धीरे साधक अपने सभी कार्यों में सफल होने लगता और पैसे के रास्ते खुलजाते है ।

इस समस्या के समाधान के लिए, उन्होंने शिव के देवता को याद किया, फिर भगवान शिव ने कहा: शक्ति के बिना , कोई भी इस विनाश को रोक नहीं सकता है, इसलिए आप उनके आश्रय जाओ। तब भगवान विष्णु जी हरिद्रा सरोवर के पास पहुंचने कर कड़ी तपस्या की । विष्णु के तपस्या से देवी खुश हुई । बगलामुखी साधना से खुश होकर । सौराष्ट्र क्षेत्र की झील पर,बगलामुखी परगट होता है। लौकिक तूफान जल्दी से बंद हो जाते हैं। उस समय मंगलमय देवी बगलामुखी का प्रादुर्भ होता है ! यह देवी बगलामुखी कथा है

साधना को आरम्भ करने से पूर्व एक साधक को चाहिए कि वह मां भगवती की उपासना अथवा अन्य किसी भी देवी या देवता की उपासना निष्काम भाव से करे। उपासना का तात्पर्य सेवा से होता है। उपासना के तीन भेद कहे गये हैं:- कायिक अर्थात् शरीर से , वाचिक अर्थात् वाणी से और मानसिक- अर्थात् मन से। जब हम कायिक का अनुशरण करते हैं तो उसमें पाद्य, अर्घ्य, स्नान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पंचोपचार पूजन अपने देवी देवता का किया जाता है। जब हम वाचिक का प्रयोग करते हैं तो अपने देवी more info देवता से सम्बन्धित स्तोत्र पाठ आदि किया जाता है अर्थात् अपने मुंह से उसकी कीर्ति का बखान करते हैं। और जब मानसिक क्रिया का अनुसरण करते हैं तो सम्बन्धित देवता का ध्यान और जप आदि किया जाता है।

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